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धर्म संकट
धर्म संकट
प्रकाशक :
विश्व बुक्स |
प्रकाशित वर्ष : 2015 |
पृष्ठ :152
मुखपृष्ठ :
पेपरबैक
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पुस्तक क्रमांक : 9295
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आईएसबीएन :8179871630 |
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8 पाठकों को प्रिय
339 पाठक हैं
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
कथा सम्राट प्रेमचंद विश्व के उन विशिष्ट कथाकारों की श्रेणी में गिने जाते हैं, जिन्होंने समाज के सभी वर्गों - अमीर-गरीब, स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढ़े, जमींदार-किसान, साहूकार-कर्जदार आदि के जीवन और उनकी समस्याओं को यथार्थवादी धरातल पर बड़ी ही सीधी-सादी शैली और सरल भाषा में प्रस्तुत करते हुए एक दिशा देने का प्रयास किया है।
यही कारण है कि प्रेमचंद की कहानियां हिंदी-भाषी क्षेत्रों में ही नहीं, संपूर्ण भारत में आज भी पढ़ी, समझी और सराही जाती हैं। इतना ही नहीं, विदेशी भाषाओं में भी उनकी चुनी हुई कहानियों के अनुवाद हो चुके हैं।
प्रेमचंद की इसी प्रासंगिकता के संदर्भ में प्रस्तुत है उनकी कुछ विशिष्ट कहानियों का संकलन - ‘धर्म संकट’ कहानी ‘धर्म संकट’ की नायिका कामिनी की लखनऊ के एक थिएटर में रूपचंद से आंखें चार हो गईं। कुत्र पत्रों के आदान-प्रदान ने भी दोनों के प्रेम को परवान चढ़ाया। किंतु अचानक एक दिन रूपचंद को अदलात के कठघरे में खड़ा होना पड़ा और अपराधी न होते हुए भी अपराध स्वीकार करना पड़ा। आखिर उसके सामने क्या धर्म संकट था ?
ऐसी ही अन्य सामाजिक कहानियों का महत्वपूर्ण संग्रह, जिसे आप अवश्य पढ़ना चाहेंगे।
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